एहसास – हरिवंशराय बच्चन

ग़म ग़लत करने के जितने भी साधन मुझे मालूम थे,और मेरी पहुँच में थे,और सबको एक-एक जमा करके मैंने आजमा लिया,और पाया कि ग़म ग़लत करने का सबसे बड़ा साधन है नारी और दूसरे दर्जे पर आती है कविता,और इन दोनों के सहारे मैंने ज़िन्दगी क़रीब-क़रीब काट दी.और अब कविता से मैंने किनाराकशी कर ली है और नारी भी छूट ही गई है–देखिए,यह … Read more

चुनिन्दा शेर

दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है इफ़्तिख़ार आरिफ़ इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा कर इतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं मेला राम वफ़ा नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए पंखुड़ी इक गुलाब की सी है मीर तक़ी मीर … Read more

क्या है मेरी बारी में – हरिवंशराय बच्चन

क्या है मेरी बारी में। जिसे सींचना था मधुजल सेसींचा खारे पानी से,नहीं उपजता कुछ भी ऐसीविधि से जीवन-क्यारी में।क्या है मेरी बारी में। आंसू-जल से सींच-सींचकरबेलि विवश हो बोता हूं,स्रष्टा का क्या अर्थ छिपा हैमेरी इस लाचारी में।क्या है मेरी बारी में। टूट पडे मधुऋतु मधुवन मेंकल ही तो क्या मेरा है,जीवन बीत गया … Read more

अज्ञेय

Download Hindi Kavya Dhara for more poetry सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थीऔर एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।मैंने धूप से कहा : मुझे थोड़ी गरमाई दोगी उधार?चिड़िया से कहा : थोड़ी मिठास उधार दोगी?मैंने घास की पत्ती से पूछा : तनिक हरियाली दोगी-तिनके की नोक-भर?शंखपुष्पी से पूछा : उजास दोगी-किरण की … Read more

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