ख़ाली जगह – अमृता प्रीतम
download the app from this link सिर्फ़ दो रजवाड़े थे – एक ने मुझे और उसे बेदखल किया था और दूसरे को हम दोनों ने त्याग दिया था। नग्न आकाश के नीचे – मैं कितनी ही देर – तन के मेंह में भीगती रही, वह कितनी ही देर तन के मेंह में गलता रहा। फिर … Read more