बुलन्दी पर बहुत नीचाइयाँ हैँ। – सूर्यभानु गुप्त

पहाड़ों के कदों की खाइयाँ हैँ, बुलन्दी पर बहुत नीचाइयाँ हैँ। है ऐसी तेज़ रफ़्तारी का आलम, की लोग अपनी ही खुद परछाइयाँ हैँ। गले मिलिए तो कट जाती हैँ जेबें, बड़ी उथली यहाँ गहराइयाँ हैँ। हवा बिजली के पंखे बांटते हैँ, मुलाजिम झूठ की सच्चाइयाँ हैँ। बिके पानी समन्दर के किनारे, हकीकत पर्वतों की … Read more

मधुकलश – हरिवंशराय ‘बच्चन’

मधुकलश – हरिवंशराय ‘बच्चन’ है आज भरा जीवन मुझमे, है आज भरी मेरी गागर! १ सर में जीवन है, इससे ही वह लहराता रहता प्रति पल, सरिता में जीवन, इससे ही वह गाती जाती है कल-कल निर्झर में जीवन, इससे ही वह झर-झर झरता रहता है, जीवन ही देता रहता है नाद को द्रुत गति, … Read more

जीवन बीत चला – अटल बिहारी वाजपेई

कल, कल करते, आज हाथ से निकले सारे, भूत-भविष्यत् की चिंता में वर्तमान की बाजी हारे, पहरा कोई काम न आया रस-घट रीत चला ! जीवन बीत चला! हानि – लाभ के पलड़ों में तुलता जीवन व्यापार हो गया, मोल लगा बिकनेवाले का बिना बिका बेकार हो गया, मुझे हाट में छोड़ अकेला एक-एक कर … Read more

उस पार न जाने क्या होगा! – हरिवंशराय बच्चन

फ़िराक़ गोरखपुरी

जग में रस की नदियाँ बहती, रसना दो बुँदे पाती है, जीवन की झिलमिल-सी झाँकी नयनों के आगे आती है, स्वर-तालमयी वीणा बजती , मिलती है बस झंकार मुझे, मेरे सुमनों की गंध कहीं यह वायु उड़ा ले जाती है; ऐसा सुनता, उस पार, प्रिये, ये साधन भी छिन जाएँगे; तब मानव की चेनतता का … Read more

कौरव कौन, कौन पांडव – अटल बिहारी वाजपेई

अटल बिहारी वाजपेई

कौरव कौन कौन पांडव टेढ़ा सवाल है । दोनों और शकुनि का फैला कूट-जाल है। जुए की लत है। हर पंचायत में पांचाली अपमानित है। बिना कृष्ण के आज महाभारत होना है, महाभारत होना है, कोई राजा बने रंक को तो रोना है । अटल बिहारी वाजपेई

error: Content is protected !!