मधुकलश – हरिवंशराय ‘बच्चन’

मधुकलश – हरिवंशराय ‘बच्चन’ है आज भरा जीवन मुझमे, है आज भरी मेरी गागर! १ सर में जीवन है, इससे ही वह लहराता रहता प्रति पल, सरिता में जीवन, इससे ही वह गाती जाती है कल-कल निर्झर में जीवन, इससे ही वह झर-झर झरता रहता है, जीवन ही देता रहता है नाद को द्रुत गति, … Read more

जीवन बीत चला – अटल बिहारी वाजपेई

कल, कल करते, आज हाथ से निकले सारे, भूत-भविष्यत् की चिंता में वर्तमान की बाजी हारे, पहरा कोई काम न आया रस-घट रीत चला ! जीवन बीत चला! हानि – लाभ के पलड़ों में तुलता जीवन व्यापार हो गया, मोल लगा बिकनेवाले का बिना बिका बेकार हो गया, मुझे हाट में छोड़ अकेला एक-एक कर … Read more

उस पार न जाने क्या होगा! – हरिवंशराय बच्चन

फ़िराक़ गोरखपुरी

जग में रस की नदियाँ बहती, रसना दो बुँदे पाती है, जीवन की झिलमिल-सी झाँकी नयनों के आगे आती है, स्वर-तालमयी वीणा बजती , मिलती है बस झंकार मुझे, मेरे सुमनों की गंध कहीं यह वायु उड़ा ले जाती है; ऐसा सुनता, उस पार, प्रिये, ये साधन भी छिन जाएँगे; तब मानव की चेनतता का … Read more

इस पार-उस पार – हरिवंशराय बच्चन

इस पार, प्रिये, मधु है, तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! यह चाँद उदित होकर नभ में कुछ ताप मिटाता जीवन का लहरा-लहरा यह शाखाएँ कुछ शोक भुला देतीं मन का, कल मुरझानेवाली कलियाँ हँसकर कहती हैं, मग्न रहो, बुल बुल तरु की फुनगी पर से संदेह सुनाती यौवन का, तुम देकर मदिरा … Read more

गीत नया गाता हूँ – अटल बिहारी वाजपेई

अटल बिहारी वाजपेई

टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर, पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर, झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात, प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ । गीत नया गाता हूँ । टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी? अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी । हार नही मानूँगा, … Read more

error: Content is protected !!