इस पार-उस पार – हरिवंशराय बच्चन

इस पार, प्रिये, मधु है, तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! यह चाँद उदित होकर नभ में कुछ ताप मिटाता जीवन का लहरा-लहरा यह शाखाएँ कुछ शोक भुला देतीं मन का, कल मुरझानेवाली कलियाँ हँसकर कहती हैं, मग्न रहो, बुल बुल तरु की फुनगी पर से संदेह सुनाती यौवन का, तुम देकर मदिरा … Read more

गीत नया गाता हूँ – अटल बिहारी वाजपेई

अटल बिहारी वाजपेई

टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर, पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर, झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात, प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ । गीत नया गाता हूँ । टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी? अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी । हार नही मानूँगा, … Read more

शाम हो जाये – बशीर बद्र

कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये तुम्हारे नाम की इक खूबसूरत शाम हो जाये हमारा दिल सवेरे का सुनहरा जाम हो जाये चरागों की तरह आँखे जलें जब शाम हो जाये अजब हालात थे यूँ दिल का सौदा हो गया आखिर मोहब्बत की हवेली जिस तरह नीलाम हो जाये समन्दर के सफ़र … Read more

अपना ग़म ले के – निदा फ़ाज़ली

अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाएघर में बिखरी हई चीज़ों को सजाया जाए । जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ़ नहींउन चिराग़ो को हवाओं से बचाया जाए। बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैंकिसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए। ख़ुदकशी करने की हिम्मत नहीं होती सबमेंऔर कुछ दिन … Read more

मौसम गुज़र गया – नीरज

मैं जिस मौसम का राजा थावो तो मौसम गुज़र गयापता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया ।। आई ऐसी नींद सुनहरीआँखें खोले सोये हम ,रोना था तब हँसे स्वयं परहँसना था तब रोये हम ,इसी एक उलझन में जीवनकुछ बिगड़ा, कुछ सँवर गया ।पता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया । … Read more

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