मौसम गुज़र गया – नीरज
मैं जिस मौसम का राजा थावो तो मौसम गुज़र गयापता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया ।। आई ऐसी नींद सुनहरीआँखें खोले सोये हम ,रोना था तब हँसे स्वयं परहँसना था तब रोये हम ,इसी एक उलझन में जीवनकुछ बिगड़ा, कुछ सँवर गया ।पता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया । … Read more