कल, कल करते, आज
हाथ से निकले सारे,
भूत-भविष्यत् की चिंता में
वर्तमान की बाजी हारे,
पहरा कोई काम न आया
रस-घट रीत चला !
जीवन बीत चला!
हानि – लाभ के पलड़ों में
तुलता जीवन व्यापार हो गया,
मोल लगा बिकनेवाले का
बिना बिका बेकार हो गया,
मुझे हाट में छोड़ अकेला
एक-एक कर मीत चला
जीवन बीत चला।
अटल बिहारी वाजपेई