जानना ज़रूरी है – इन्दु जैन

जब वक्त कम रह जाएतो जानना ज़रूरी है किक्या ज़रूरी है सिर्फ़ चाहिए के बदले चाहनापहचानना कि कहां हैं हाथ में हाथ दिए दोनोंमुखामुख मुस्करा रहे हैं कहां फ़िर इन्हें यों सराहनाजैसे बला की गर्मी में घूंट भरतेमुंह में आई बर्फ़ की डली । Download kavyadhara hindi application – http://bit.ly/2RosSp4

हो गए दिन जिन्हें भुलाए हुए

हो गए दिन जिन्हें भुलाए हुएआज कल हैं वो याद आए हुए मैं ने रातें बहुत गुज़ारी हैंसिर्फ़ दिल का दिया जलाए हुए एक उसी शख़्स का नहीं मज़कूरहम ज़माने के हैं सताए हुए सोने आते हैं लोग बस्ती मेंसारे दिन के थके थकाए हुए मुस्कुराए बग़ैर भी वो होंटनज़र आते हैं मुस्कुराए हुए गो … Read more

अमृता प्रीतम – चुनी हुई कविताएँ

धूप का टुकड़ा मुझे वह समय याद है-जब धूप का एक टुकड़ा सूरज की उँगली थाम कर अँधेरे का मेला देखता उस भीड़ में कहीं खो गया… सोचती हूँ-सहम का और सूनेपन का एक नाता है मैं इसकी कुछ नहीं लगती पर इस खोये बच्चे ने मेरा हाथ थाम लिया  तुम कहीं नहीं मिलते हाथ को छू रहा है एक नन्हा-सा गर्म साँस न हाथ … Read more

तुम्हारे हाथ में टँककर – कुँअर बेचैन

तुम्हारे हाथ में टँककर बने हीरे, बने मोती बटन, मेरी कमीज़ों के। नयन को जागरण देतीं नहायी देह की छुअनें कभी भीगी हुईं अलकें कभी ये चुंबनों के फूल केसर-गंध-सी पलकें सवेरे ही सपन झूले बने ये सावनी लोचन कई त्यौहार तीजों के। बनी झंकार वीणा की तुम्हारी चूड़ियों के हाथ में यह चाय की … Read more

क्या किया आज तक क्या पाया?

मैं सोच रहा, सिर पर अपारदिन, मास, वर्ष का धरे भारपल, प्रतिपल का अंबार लगाआखिर पाया तो क्या पाया? जब तान छिड़ी, मैं बोल उठाजब थाप पड़ी, पग डोल उठाऔरों के स्वर में स्वर भर करअब तक गाया तो क्या गाया? सब लुटा विश्व को रंक हुआरीता तब मेरा अंक हुआदाता से फिर याचक बनकरकण-कण … Read more

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