मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ! – अज्ञेय
Download Kavya Dhara Application प्रिय, मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ! बह गया जग मुग्ध सरि-सा मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ! तुम विमुख हो, किंतु मैंने कब कहा उन्मुख रहो तुम? साधना है सहसनयना-बस, कहीं सम्मुख रहो तुम! विमुख-उन्मुख से परे भी तत्त्व की तल्लीनता है- लीन हूँ मैं, तत्त्वमय हूँ अचिर चिर-निर्वाण में हूँ! मैं … Read more