ऐ मेरे दोस्त! मेरे अजनबी! ~ अमृता प्रीतम
ऐ मेरे दोस्त! मेरे अजनबी!एक बार अचानक – तू आयावक़्त बिल्कुल हैरानमेरे कमरे में खड़ा रह गया।साँझ का सूरज अस्त होने को था,पर न हो सकाऔर डूबने की क़िस्मत वो भूल-सा गया… फिर आदि के नियम ने एक दुहाई दी,और वक़्त ने उन खड़े क्षणों को देखाऔर खिड़की के रास्ते बाहर को भागा… वह बीते … Read more