जो बात है हद से बढ़ गयी है – फ़िराक़ गोरखपुरी
जो बात है हद से बढ़ गयी हैवाएज़ के भी कितनी चढ़ गई है हम तो ये कहेंगे तेरी शोख़ीदबने से कुछ और बढ़ गई है हर शय ब-नसीमे-लम्से-नाज़ुकबर्गे-गुले-तर से बढ़ गयी है जब-जब वो नज़र उठी मेरे सरलाखों इल्ज़ाम मढ़ गयी है तुझ पर जो पड़ी है इत्तफ़ाक़नहर आँख दुरूद पढ़ गयी है सुनते हैं कि … Read more