परवीन शाकिर

आपने किसी शायरा के बारे में सुना है कि उसने कोई लिखित परीक्षा दी हो और उस परीक्षा में उन्हीं पर एक सवाल पूछा गया हो. जी हां ऐसा पाकिस्तान की मशहूर शायरा परवीन शाकिर के साथ हुआ था, जब उन्होंने 1982 में सेंट्रल सुपीरियर सर्विस की परीक्षा दी थी. उन्होंने अपनी लेखन की शुरुआत … Read more

‘साहिर समग्र’

यह किताब उनकी रचनाओं का समग्र है, अभी तक उपलब्ध उनकी तमाम गज़लों, नज़्मों और गीतों को इसमें इकट्ठा करने की कोशिश की गई है। उम्मीद है दर्द-पसन्द पाठकों को इसमें अपना वह खोया घर मिल जाएगा जो इधर की चमक-दमक में खो गया है एक ऐसे परिवार में पैदा होकर, जिसका शायरी और अदब … Read more

कृष्ण की चेतावनी- रामधारी सिंह “दिनकर”

वर्षों तक वन में घूम-घूम,बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,पांडव आये कुछ और निखर।सौभाग्य न सब दिन सोता है,देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को,सबको सुमार्ग पर लाने को,दुर्योधन को समझाने को,भीषण विध्वंस बचाने को,भगवान् हस्तिनापुर आये,पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर तो आधा दो,पर, इसमें भी यदि बाधा हो,तो दे दो … Read more

आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ

है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,है कंहा वह ज्वाल पास मेरे आए, रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओ;आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी,नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी, आज तुम मुझको जगाकर जगमगाओ;आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । मैं तपोमय ज्योती की, … Read more

संध्या सुन्दरी – सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला”

फ़िराक़ गोरखपुरी

दिवसावसान का समय-मेघमय आसमान से उतर रही हैवह संध्या-सुन्दरी, परी सी,धीरे, धीरे, धीरेतिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास,मधुर-मधुर हैं दोनों उसके अधर,किंतु ज़रा गंभीर, नहीं है उसमें हास-विलास।हँसता है तो केवल तारा एक-गुँथा हुआ उन घुँघराले काले-काले बालों से,हृदय राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक।अलसता की-सी लता,किंतु कोमलता की वह कली,सखी-नीरवता के … Read more

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