राधा की प्रीत
नई नही युगों पुरानी है रीत, किशन के संग राधा की प्रीत। वृंदावन की गलीयो में छिङी कोई धुन सुरीली, जैसे गोपीयो के अधरों पर कान्हा की हो मुरली। कृष्ण मे समाहित एसे है रुक्मणी , जैसे शिवशक्ति की अद्विक जोङी। कल्पना के परै मिलन बगैर विरह, अंततः मोहन को पा ही लेती मीरा स्वतः। … Read more