सीढियां उम्र कीे बस यूँ ही चढा करते रहे,
अपने साए के साथ ही आगे बढा करते रहे,
हम तो दर पर बेठकर बस इंतजार करते रहे,
ए खुशी हम तो तेरा ख्वाबों मे ही दीदार करते रहे,
दिल की हस्ती को मिटा कर जार जार करते रहे,
ये गुनाह अपने आप से हम बार बार करते रहे,
खुद को छोटा मानकर लोगो को बङा करते रहे,
खुशीयों की खातिर उनकी हम खुद को कटघरे में खडा करते रहे,
होश आया है हमे अब एं नादां ये हम क्या करते रहे,
किसके लिए रोएँ है इतना ओर क्यों मरते रहे।
।। हर्षा हर्ष ।।