बशीर बद्र
ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे – बशीर बद्र ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे, महफ़िलों-महफ़िलों गुनगुनाते रहे आँसुओं से लिखी दिल की तहरीर कोफूल की पत्तियों से सजाते रहे ग़ज़लें कुम्हला गईं नज़्में मुरझा गईं,गीत सँवला गये साज़ चुप हो गये फिर भी अहल-ए-चमन कितने ख़ुशज़ौक़ थेनग़्मा-ए-फ़स्ल-ए-गुल गुनगुनाते रहे तेरी साँसों की ख़ुशबू लबों की महक,जाने कैसे … Read more
कुछ सुन लें – भगवतीचरण वर्मा
कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें । जीवन-सरिता की लहर-लहर,मिटने को बनती यहाँ प्रियेसंयोग क्षणिक, फिर क्या जानेहम कहाँ और तुम कहाँ प्रिये । पल-भर तो साथ-साथ बह लें,कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें । आओ कुछ ले लें औ’ दे लें । हम हैं अजान पथ के राही,चलना जीवन का सार प्रियेपर … Read more
चित्रांश खरे
हमारे सब्र का इक इम्तिहान बाक़ी है हमारे सब्र का इक इम्तिहान बाक़ी है इसी लिए तो अभी तक ये जान बाक़ी है वो नफ़रतों की इमारत भी गिर गई देखो मोहब्बतों का ये कच्चा मकान बाक़ी है मिरा उसूल है ग़ज़लों में सच बयाँ करना मैं मर गया तो मिरा ख़ानदान बाक़ी है मैं … Read more