कुछ सुन लें – भगवतीचरण वर्मा
कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें । जीवन-सरिता की लहर-लहर,मिटने को बनती यहाँ प्रियेसंयोग क्षणिक, फिर क्या जानेहम कहाँ और तुम कहाँ प्रिये । पल-भर तो साथ-साथ बह लें,कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें । आओ कुछ ले लें औ’ दे लें । हम हैं अजान पथ के राही,चलना जीवन का सार प्रियेपर … Read more