Poetry
हम तेरी चाह में – गोपालदास “नीरज”
हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे । होश ये भी न जहाँ है कि कहाँ तक पहुँचे । इतना मालूम है, ख़ामोश है सारी महफ़िल, पर न मालूम, ये ख़ामोशी कहाँ तक पहुँचे । वो न ज्ञानी ,न वो ध्यानी, न बिरहमन, न वो शेख, वो कोई और थे जो तेरे मकाँ तक … Read more
ज़िंदगी यूँ भी जली – कुँअर बेचैन
ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तकचाँदनी चार क़दम, धूप चली मीलों तक प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सरख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक प्यार में कैसी थकन कहके ये घर से निकलीकृष्ण की खोज में वृषभानु-लली मीलों तक घर से निकला तो चली साथ में बिटिया की … Read more
दीपाली अग्रवाल – चुनिन्दा शेर
तुम मुझे ऐसे मिलना जैसे उफ़ुक पर धरती और आसमान मिलते हैं, हमारा इश्क़ शफ़्फ़ाफ़ होगा सूरज की मानिंद रंगों के सफ़र में ख़ुदरंग रहा करचलना है तो भीड़ से अलग चला कर वो आस्मां के शिकंजे में आते रहेनशेमन इधर बुलाता ही रहा वाक़ई दिल में कुछ रहा न होगाझगड़ता अगर प्यार होता उसे … Read more
परिचय
सलिल कण हूँ, या पारावार हूँ मैंस्वयं छाया, स्वयं आधार हूँ मैंबँधा हूँ, स्वपन हूँ, लघु वृत हूँ मैंनहीं तो व्योम का विस्तार हूँ मैंसमाना चाहता है, जो बीन उर मेंविकल उस शुन्य की झनंकार हूँ मैंभटकता खोजता हूँ, ज्योति तम मेंसुना है ज्योति का आगार हूँ मैंजिसे निशि खोजती तारे जलाकरउसीका कर रहा अभिसार … Read more