हम तेरी चाह में – गोपालदास “नीरज”
हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे । होश ये भी न जहाँ है कि कहाँ तक पहुँचे । इतना मालूम है, ख़ामोश है सारी महफ़िल, पर न मालूम, ये ख़ामोशी कहाँ तक पहुँचे । वो न ज्ञानी ,न वो ध्यानी, न बिरहमन, न वो शेख, वो कोई और थे जो तेरे मकाँ तक … Read more