शेर

कई दिन से शरारत ही नहीं की मिरे अंदर का बच्चा लापता है अमित शर्मा तुझ पे जमी हैं सब की नज़रें तेरी नज़र में कौन रहेगा अनीस अब्र किस ख़ता की सज़ा मिली उस को किस लिए रोज़ घटता बढ़ता है इन्दिरा वर्मा ख़ैर दोज़ख़ में मय मिले न मिले शैख़-साहब से जाँ तो … Read more

बशीर बद्र

अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं कई सितारों को मैं जानता हूँ बचपन से कहीं भी जाऊँ मिरे साथ साथ चलते हैं कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी … Read more

तुम लौट आना – आनंद गुप्ता

तुम लौट आना जैसे किसी स्त्री के गर्भ में लौटता है नया जीवन जैसे लौट आती है आवाजें चट्टानों से टकराकर हर बार जैसे हर पराजय के बाद फिर से लौट आती है उम्मीद। तुम उस तरह मत लौटना जैसे क्षणिक सुख बिखेर कर वापस लौट आती है लम्बी उदासी। तुम लौटना जैसे गहरे जख्म … Read more

हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें – कुमार विश्वास

हार गया तन-मन पुकार कर तुम्हें कितने एकाकी हैं प्यार कर तुम्हें जिस पल हल्दी लेपी होगी तन पर माँ ने जिस पल सखियों ने सौंपी होंगीं सौगातें ढोलक की थापों में, घुँघरू की रुनझुन में घुल कर फैली होंगीं घर में प्यारी बातें उस पल मीठी-सी धुन घर के आँगन में सुन रोये मन-चैसर … Read more

मीरा दासी जनम जनम की – मीराबाई

प्यारे दरसन दीज्यो आय, तुम बिन रह्यो न जाय।। जल बिन कमल, चंद बिन रजनी, ऐसे तुम देख्याँ बिन सजनी। आकुल व्याकुल फिरूँ रैन दिन, बिरह कालजो खाय।। दिवस न भूख, नींद नहिं रैना, मुख सूं कथत न आवे बैना। कहा कहूँ कछु कहत न आवै, मिलकर तपत बुझाय।। क्यूँ तरसावो अन्तरजामी, आय मिलो किरपाकर … Read more

error: Content is protected !!