शेर

कई दिन से शरारत ही नहीं की
मिरे अंदर का बच्चा लापता है

अमित शर्मा

तुझ पे जमी हैं सब की नज़रें
तेरी नज़र में कौन रहेगा

अनीस अब्र

किस ख़ता की सज़ा मिली उस को
किस लिए रोज़ घटता बढ़ता है

इन्दिरा वर्मा

ख़ैर दोज़ख़ में मय मिले न मिले
शैख़-साहब से जाँ तो छुटेगी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो

बशीर बद्र

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