प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह – गोपालदास “नीरज”
जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह , याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह | ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह | कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो जिन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह | दाग … Read more