प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह – गोपालदास “नीरज”

फ़िराक़ गोरखपुरी

जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह , याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह | ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह | कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो जिन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह | दाग … Read more

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला! तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला, जब सबके मुंह पे पाश.. ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश, हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय! तब भी तू दिल खोलके, अरे! … Read more

फिर से लौट जाएगा आदमी

हमने अपने हाथों में जब धनुष सँभाला है, बाँध कर के सागर को रास्ता निकाला है। हर दुखी की सेवा ही है मेरे लिए पूजा, झोपड़ी गरीबों की अब मेरा शिवाला है। अब करें शिकायत क्या, दोष भी किसे दें हम? घर के ही चिरागों ने घर को फूँक डाला है। कौन अब सुनाएगा दर्द … Read more

पुष्प की अभिलाषा – माखनलाल चतुर्वेदी

चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें … Read more

गाढे अंधेरे में – अशोक वाजपेयी

इस गाढे अंधेरे में यों तो हाथ को हाथ नहीं सूझता लेकिन साफ़-साफ़ नज़र आता है : हत्यारों का बढता हुआ हुजूम, उनकी ख़ूंख़्वार आंखें, उसके तेज़ धारदार हथियार, उनकी भड़कीली पोशाकें मारने-नष्ट करने का उनका चमकीला उत्साह, उनके सधे-सोचे-समझे क़दम। हमारे पास अंधेरे को भेदने की कोई हिकमत नहीं है और न हमारी आंखों … Read more

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