जीवन बीत चला – अटल बिहारी वाजपेई

कल, कल करते, आज हाथ से निकले सारे, भूत-भविष्यत् की चिंता में वर्तमान की बाजी हारे, पहरा कोई काम न आया रस-घट रीत चला ! जीवन बीत चला! हानि – लाभ के पलड़ों में तुलता जीवन व्यापार हो गया, मोल लगा बिकनेवाले का बिना बिका बेकार हो गया, मुझे हाट में छोड़ अकेला एक-एक कर … Read more

गीत नया गाता हूँ – अटल बिहारी वाजपेई

अटल बिहारी वाजपेई

टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर, पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर, झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात, प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ । गीत नया गाता हूँ । टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी? अंतर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी । हार नही मानूँगा, … Read more

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं – अटल बिहारी वाजपेयी

भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्रपुरुष है। हिमालय मस्तक है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं। पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं। कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है। यह चन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है, यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण … Read more

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