अपना ग़म ले के – निदा फ़ाज़ली

अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाएघर में बिखरी हई चीज़ों को सजाया जाए । जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ़ नहींउन चिराग़ो को हवाओं से बचाया जाए। बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैंकिसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए। ख़ुदकशी करने की हिम्मत नहीं होती सबमेंऔर कुछ दिन … Read more

मौसम गुज़र गया – नीरज

मैं जिस मौसम का राजा थावो तो मौसम गुज़र गयापता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया ।। आई ऐसी नींद सुनहरीआँखें खोले सोये हम ,रोना था तब हँसे स्वयं परहँसना था तब रोये हम ,इसी एक उलझन में जीवनकुछ बिगड़ा, कुछ सँवर गया ।पता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया । … Read more

जीवन नहीं मरा करता है – नीरज

छुप- छुप अश्रु बहाने वालो !मोती व्यर्थ लुटाने वालो !कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है । सपना क्या है ? नयन सेज परसोया हुआ आँख का पानी,और टूटना है उसका ज्योंजागे कच्ची नींद जवानी,गीली उमर बनाने वालो!डूबे बिना नहाने वालो !कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता … Read more

फिर यूँ हुआ – निदा फ़ाज़ली

मुमकिन है चन्द रोज़परीशाँ रही हो तुमयूँ भी हुआ हो , वक़्त पर सूरज उगा न होइमली में कोई अच्छा क़तारा पका न होछत की खुली हवाओं में आँचल उड़ा न हो दो -तीन दिन रजाई में सर्दी रुकी न होकमरे की रात पंख पसारे उड़ी न हो हँसने की बात पर भी ब – … Read more

error: Content is protected !!