अपना ग़म ले के – निदा फ़ाज़ली
अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाएघर में बिखरी हई चीज़ों को सजाया जाए । जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ़ नहींउन चिराग़ो को हवाओं से बचाया जाए। बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैंकिसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए। ख़ुदकशी करने की हिम्मत नहीं होती सबमेंऔर कुछ दिन … Read more