बशीर बद्र

वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा – बशीर बद्र वो थका हुआ मेरी बाहों में ज़रा सो गया था तो क्या हुआअभी मैं ने देखा है चाँद भी किसी शाख़-ए-गुल पे झुका हुआ जिसे ले गई है अभी हवा वो वरक़ था दिल की किताब काकहीं आँसुओं से मिटा हुआ कहीं आँसुओं से लिखा … Read more

बशीर बद्र

ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे – बशीर बद्र ग़म छुपाते रहे मुस्कुराते रहे, महफ़िलों-महफ़िलों गुनगुनाते रहे आँसुओं से लिखी दिल की तहरीर कोफूल की पत्तियों से सजाते रहे ग़ज़लें कुम्हला गईं नज़्में मुरझा गईं,गीत सँवला गये साज़ चुप हो गये फिर भी अहल-ए-चमन कितने ख़ुशज़ौक़ थेनग़्मा-ए-फ़स्ल-ए-गुल गुनगुनाते रहे तेरी साँसों की ख़ुशबू लबों की महक,जाने कैसे … Read more

कुछ सुन लें – भगवतीचरण वर्मा

कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें । जीवन-सरिता की लहर-लहर,मिटने को बनती यहाँ प्रियेसंयोग क्षणिक, फिर क्या जानेहम कहाँ और तुम कहाँ प्रिये । पल-भर तो साथ-साथ बह लें,कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें । आओ कुछ ले लें औ’ दे लें । हम हैं अजान पथ के राही,चलना जीवन का सार प्रियेपर … Read more

बशीर बद्र

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला – बशीर बद्र मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिलाअगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिला घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थेबहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिला तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड आया थाफिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी ना … Read more

चित्रांश खरे

हमारे सब्र का इक इम्तिहान बाक़ी है हमारे सब्र का इक इम्तिहान बाक़ी है इसी लिए तो अभी तक ये जान बाक़ी है वो नफ़रतों की इमारत भी गिर गई देखो मोहब्बतों का ये कच्चा मकान बाक़ी है मिरा उसूल है ग़ज़लों में सच बयाँ करना मैं मर गया तो मिरा ख़ानदान बाक़ी है मैं … Read more

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