बाद की उदासी – कुँवर नारायण

कभी-कभी लगता
बेहद थक चुका है आकाश
अपनी बेहदी से
वह सीमित होना चाहता है
एक छोटी-सी गृहस्ती भर जगह में,
वह शामिल होना चाहता है एक पारिवारिक दिनचर्या में,
वह प्रेमी होना चाहता है एक स्त्री का,
वह पिता होना चाहता है एक पुत्र का,
वह होना चाहता है किसी के आँगन की धूप

वह अविचल मौन से विचलित हो
ध्वनित और प्रतिध्वनित होना चाहता है शब्दों में
फूल फल पत्ते होना चाहते हैं उसके चाँद और तारे
आँसू होना चाहती हैं ओस की बूँदें…

अमरत्व से थक चुकी
आकाश की अटूट उबासी
अकस्मात टूट कर
होना चाहती है
किसी मृत्यु के बाद की उदासी !

कुँवर नारायण

जन्म : 19 सितंबर 1927, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश

भाषा : हिंदी

विधाएँ : कविता, कहानी, समीक्षा

मुख्य कृतियाँ

कविता संग्रह : चक्रव्यूह, तीसरा सप्तक, परिवेश : हम तुम, आत्मजयी, अपने सामने, कोई दूसरा नहीं, इन दिनों, वाजश्रवा के बहाने, हाशिये का गवाह

कहानी संग्रह : आकारों के आसपास

समीक्षा : आज और आज से पहले

अन्य : मेरे साक्षात्कार, साहित्य के कुछ अंतर्विषयक संदर्भ (साहित्य अकादेमी संवत्सर व्याख्यान)

अनुवाद : यूनानी कवि कवाफी और स्पानी कवि-कथाकार बोर्खेस की कविताओं के अनुवाद

सम्मान : हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, केरल का कुमारन अशान पुरस्कार, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान (हिंदी अकादेमी दिल्ली), उ.प्र. हिंदी संस्थान पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, कबीर सम्मान, पद्मभूषण

निधन : 15 नवंबर 2017, दिल्ली

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