बाद की उदासी – कुँवर नारायण
कभी-कभी लगताबेहद थक चुका है आकाशअपनी बेहदी सेवह सीमित होना चाहता हैएक छोटी-सी गृहस्ती भर जगह में,वह शामिल होना चाहता है एक पारिवारिक दिनचर्या में,वह प्रेमी होना चाहता है एक स्त्री का,वह पिता होना चाहता है एक पुत्र का,वह होना चाहता है किसी के आँगन की धूप वह अविचल मौन से विचलित होध्वनित और प्रतिध्वनित … Read more