जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह ,
याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह |
ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा
जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह |
कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो
जिन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह |
दाग मुझमें है कि तुझमें यह पता तब होगा ,
मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह |
हर किसी शख्स की किस्मत का यही है किस्सा ,
आए राजा की तरह ,जाए वो निर्धन की तरह |
जिसमें इन्सान के दिल की न हो धड़कन की नीरज ‘
शायरी तो है वह अखबार की कतरन की तरह |