सुभद्रा कुमारी चौहान

देखो कोयल काली है, पर मीठी है इसकी बोली! इसने ही तो कूक-कूक कर आमों में मिसरी घोली॥ यही आम जो अभी लगे थे, खट्टे-खट्टे, हरे-हरे। कोयल कूकेगी तब होंगे, पीले और रस भरे-भरे॥ हमें देखकर टपक पड़ेंगे, हम खुश होकर खाएंगे। ऊपर कोयल गायेगी, हम नीचे उसे बुलाएंगे॥ कोयल! कोयल! सच बतलाओ, क्‍या संदेशा … Read more

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