उल्लू बनाती हो? – शैल चतुर्वेदी
एक दिन मामला यों बिगड़ाकि हमारी ही घरवाली सेहो गया हमारा झगड़ास्वभाव से मैं नर्म हूँइसका अर्थ ये नहींके बेशर्म हूँपत्ते की तरह काँप जाता हूँबोलते-बोलते हाँफ जाता हूँइसलिये कम बोलता हूँमजबूर हो जाऊँ तभी बोलता हूँहमने कहा-“पत्नी होतो पत्नी की तरह रहोकोई एहसान नहीं करतींजो बनाकर खिलाती होक्या ऐसे ही घर चलाती होशादी को … Read more