भारत भूषण पन्त के बेहतरीन शेर

download kavya Dhara application आँखों में एक बार उभरने की देर थी फिर आँसुओं ने आप ही रस्ते बना लिए कहीं जैसे मैं कोई चीज़ रख कर भूल जाता हूँ पहन लेता हूँ जब दस्तार* तो सर भूल जाता हूँ ( दस्तार* – पगड़ी) मैं थोड़ी देर भी आँखों को अपनी बंद कर लूँ तो … Read more

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