ज़िया जालंधरी

क्या सरोकार अब किसी से मुझे – ज़िया जालंधरी क्या सरोकार अब किसी से मुझेवास्ता था तो था तुझी से मुझे  बे-हिसी का भी अब नहीं एहसासक्या हुआ तेरी बे-रूख़ी से मुझे मौत की आरज़ू भी कर देखोक्या उम्मीदें थीं जिंदगी से मुझे फिर किसी पर न ए‘तिबार आए यूँ उतारो न अपने जी से मुझे … Read more

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