घर भी आओ
कभी किसी दिन घर भी आओ – जय चक्रवर्ती आते-जाते ही मिलते हो भाई! थोड़ा वक़्त निकालो कभी किसी दिन घर भी आओ चाय पियेंगे,बैठेंगे कुछ देर मजे से बतियायेंगेकुछ अपनी,कुछ इधर-उधर की कह-सुन मन को बहलायेंगे बीच रास्ते ही मिलते हो भाई! थोड़ा वक़्त निकालो कभी किसी दिन घर भी आओ मिलना-जुलना, बात-बतकही हँसी-ठिठोली सपन हुए सब बाँट-चूँट कर खाना-पीना साझे दुख-सुख हवन … Read more