Download Hindi kavya Dhara Mobile application मैं तो बहता इक दरिया हुँ। गर ठहरूँ, ठहरूँ तो कैसे। साथ मेरे ये आसमान है। रुकना है पर रुकूँ तो कैसे। मैं ही साथी मैं ही मंज़िल मैं ही हल हुँ,मैं ही मुश्किल मैं अमृत हुँ, और हलाहल मैं ही विपदा मैं ही संबल। मैं सृष्टि का करता … Read more