नदी – अनिता भारती
एक उन्मुक्त नदी निर्बंध, निडर बाँध तोड़ बहने को उत्सुककब रोक पायी उसे बेबस बाड़? आ, गेसुओं की सुगन्धमुझसे गले मिल जा।हवा का कोना-कोनामुक्ति गीत है मेराप्राण वायु लायेगी नया सबेरा। एक उन्मुक्त नदीजो निर्बंध बहती है—कौन रोक पाया है उसे? आ, मेरा मुझसे आलोकित होदीप्त कर अंधियारसुबह की सुनहरी रेशमी डोर हीतोड़ेगी मन की कारा तुम मानो … Read more