पहली बूँदें

पहली बूँदें बारिश की जो आईं मन कचनार हुआभींंगा मन का कोना-कोनामहक उठा गुलज़ार हुआ खाली-खाली मटके थेपनघट पर सन्नाटा थासूखे-प्यासे कंंठों नेतड़प-तड़प दिन काटा थाइंतजार की रेखा टूटीजलमय जग-संसार हुआ पोखर-ताल उदास हुए थेलुटे पथिक के जैसेपानी का धन खोकर किसकोदेते क्या वे कैसे? आसमान की दौलत पागड्ढा भी साहुकार हुआ  शोलों के शरबत को … Read more

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