अंकिता जैन
download the mobile application from this link download the mobile application for more poetry बारिश की आस में जीती है वो रोज़, थोड़ा-थोड़ा मरती भी है साँसें अटकाए रहती है हलक में कहीं धड़कनें लटका लेती है पत्तों के कोनों पर जो चाहती हैं टपकना और मिट्टी में मिल जाना, जो जलती हैं दिनभर और … Read more