मौसम गुज़र गया – नीरज

मैं जिस मौसम का राजा थावो तो मौसम गुज़र गयापता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया ।। आई ऐसी नींद सुनहरीआँखें खोले सोये हम ,रोना था तब हँसे स्वयं परहँसना था तब रोये हम ,इसी एक उलझन में जीवनकुछ बिगड़ा, कुछ सँवर गया ।पता नहीं वो जाने वालाइधर गया या उधर गया । … Read more

जीवन नहीं मरा करता है – नीरज

छुप- छुप अश्रु बहाने वालो !मोती व्यर्थ लुटाने वालो !कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है । सपना क्या है ? नयन सेज परसोया हुआ आँख का पानी,और टूटना है उसका ज्योंजागे कच्ची नींद जवानी,गीली उमर बनाने वालो!डूबे बिना नहाने वालो !कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता … Read more

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