मधुकलश – हरिवंशराय ‘बच्चन’

मधुकलश – हरिवंशराय ‘बच्चन’ है आज भरा जीवन मुझमे, है आज भरी मेरी गागर! १ सर में जीवन है, इससे ही वह लहराता रहता प्रति पल, सरिता में जीवन, इससे ही वह गाती जाती है कल-कल निर्झर में जीवन, इससे ही वह झर-झर झरता रहता है, जीवन ही देता रहता है नाद को द्रुत गति, … Read more

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