उस पार न जाने क्या होगा – हरिवंशराय बच्चन
इस पार, प्रिये मधु है तुम हो,उस पार न जाने क्या होगा!यह चाँद उदित होकर नभ मेंकुछ ताप मिटाता जीवन का,लहरा लहरा यह शाखाएँकुछ शोक भुला देती मन का,कल मुर्झानेवाली कलियाँहँसकर कहती हैं मगन रहो,बुलबुल तरु की फुनगी पर सेसंदेश सुनाती यौवन का,तुम देकर मदिरा के प्यालेमेरा मन बहला देती हो,उस पार मुझे बहलाने काउपचार … Read more