कैफ़ भोपाली प्रसिद्ध शायर एवं गीतकार जो फिल्म “पाकीज़ा” में अपने गीत के लिए मशहूर हुए।
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आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है
इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले
दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है
थोड़ा सा अक्स चाँद के पैकर में डाल दे
तू आ के जान रात के मंज़र में डाल दे