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किसने कहा था
खूँटा जो गड़ा है
उससे बँधी रस्सी के एक सिरे पर
कसकर गाँठ बांध दो
दूसरे सिरे के गोल घेरे में
अपनी गरदन डाल दो
रस्सी तुड़ाकर भागो
लेकिन बार-बार वापस आ
उसी के आसपास घूमती रहो
कहना किसे है – ऐसे में
जब खुद अपनी ही कैद में
गिरफ्त हो ‘मैं’ !
– स्नेहमयी चौधरी
जन्म : 9 मई 1935, मौरावाँ, उन्नाव (उत्तर प्रदेश)
भाषा : हिंदी
विधाएँ : कविता
कविता संग्रह : एकाकी दोनों, पूरा गलत पाठ, हड़कंप, अपने खिलाफ, चौतरफा लड़ाई
रचना पुरस्कार (कलकत्ता), हिंदी अकादमी पुरस्कार (दिल्ली)
निधन : 30 जुलाई 2017, दिल्ली
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