ग़म ग़लत करने के
जितने भी साधन मुझे मालूम थे,
और मेरी पहुँच में थे,
और सबको एक-एक जमा करके
मैंने आजमा लिया,
और पाया
कि ग़म ग़लत करने का सबसे बड़ा साधन
है नारी
और दूसरे दर्जे पर आती है कविता,
और इन दोनों के सहारे
मैंने ज़िन्दगी क़रीब-क़रीब काट दी.
और अब
कविता से मैंने किनाराकशी कर ली है
और नारी भी छूट ही गई है–
देखिए,
यह बात मेरी वृद्धा जीवनसंगिनी से मत कहिएगा,
क्योंकि अब यह सुनकर
वह बे-सहारा अनुभव करेगी–
तब,ग़म ?
ग़म से आखिरी ग़म तक
आदमी को नज़ात कहाँ मिलती है.
पर मेरे सिर पर चढ़े सफेद बालों
और मेरे चेहरे पर उतरी झुर्रियों ने
मुझे सीखा दिया है
कि ग़म– मैं गलती पर था–
ग़लत करने की चीज है ही नहीं;
ग़म,असल में सही करने की चीज है;
और जिसे यह आ गया,
सच पूछो तो,
उसे ही जीने की तमीज़ है.
Download application for more poetry – kavyadhara hindi