क्यों इन तारों को उलझाते ?

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आज क्यों तेरी वीणा मौन ?

शिथिल शिथिल तन थकित हुए कर,
स्पंदन भी भूला जाता उर,

मधुर कसक सा आज हृदय में
आन समाया कौन?
आज क्यों तेरी वीणा मौन ?

झुकती आती पलकें निश्चल,
चित्रित निद्रित से तारक चल;

सोता पारावार दृगों में
भर भर लाया कौन ?
आज क्यों तेरी वीणा मौन ?

बाहर घन-तम; भीतर दुख-तम,
नभ में विद्युत तुझ में प्रियतम,

जीवन पावस-रात बनाने
सुधि बन छाया कौन ?
आज क्यों तेरी वीणा मौन ?

– महादेवी वर्मा

(पुस्तक: नीरजा)

जन्म : 26 मार्च 1907, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)

भाषा : हिंदी

विधाएँ : कविता, कहानी, निबंध, डायरी, संस्मरण

कविता संग्रह : नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, सप्तपर्णा, प्रथम आयाम, अग्निरेखा

रेखाचित्र : अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ

संस्मरण : पथ के साथी, मेरा परिवार, संस्मरण

चुने हुए भाषणों का संकलन : संभाषण

निबंध : शृंखला की कड़ियाँ, विवेचनात्मक गद्य, साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, संकल्पिता, हिमालय, क्षणदा

संपादन : चाँद, साहित्यकार

सम्मान : मंगलाप्रसाद पारितोषिक, भारत भारती, पद्म भूषण, पद्म विभूषण, सक्सेरिया पुरस्कार, द्विवेदी पदक, ज्ञानपीठ पुरस्कार

निधन : 11 सितंबर 1987, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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