क्यों इन तारों को उलझाते ?

Download Hindi Kavya Dhara application आज क्यों तेरी वीणा मौन ? शिथिल शिथिल तन थकित हुए कर, स्पंदन भी भूला जाता उर, मधुर कसक सा आज हृदय में आन समाया कौन? आज क्यों तेरी वीणा मौन ? झुकती आती पलकें निश्चल, चित्रित निद्रित से तारक चल; सोता पारावार दृगों में भर भर लाया कौन ? … Read more

महादेवी वर्मा

Download kavya Dhara Hindi application from play store तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! तारक में छवि, प्राणों में स्मृति पलकों में नीरव पद की गति लघु उर में पुलकों की संस्कृति भर लाई हूँ तेरी चंचल और करूँ जग में संचय क्या? तेरा मुख सहास अरूणोदय परछाई रजनी विषादमय वह जागृति वह नींद स्वप्नमय, … Read more

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