लिफाफा धूप का – कुमार शिव

किए जो प्रश्न मैंने सूर्य से उनका मिला उत्तर खुली खिड़की, लिफाफा धूप का आकर गिरा भीतर। अँधेरा कक्ष मेरा भर गया स्वर्णिम उजाले से समय अभिभूत इतना था, नहीं सँभला सँभाले से मैं था अनभिज्ञ अपनी ख्वाहिशों से और चाहत से मैं था संतुष्ट अपने गाँव से, खपरैल की छत से ठगा-सा रहा गया … Read more

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