काका हाथरसी – कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ
प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो,बदल रहे अणु, कण-कण देखो|तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो |भाग्य वाद पर अड़े हुए हो| छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली,जीवन में परिवर्तन लाओ |परंपरा से ऊंचे उठ कर,कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ | जब तक घर मे धन संपति हो,बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |पढो, लिखो, शादी करवा लो ,फिर मानो यह बात हमारी … Read more