बदन पर नई फ़स्ल आने लगी – आदिल मंसूरी

बदन पर नई फ़स्ल आने लगी हवा दिल में ख़्वाहिश जगाने लगी कोई ख़ुदकुशी की तरफ़ चल दिया उदासी की मेहनत ठिकाने लगी जो चुपचाप रहती थी दीवार में वो तस्वीर बातें बनाने लगी ख़यालों के तरीक खंडरात में ख़मोशी ग़ज़ल गुनगुनाने लगी ज़रा देर बैठे थे तन्हाई में तिरी याद आँखें दुखाने लगी – … Read more

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