मेरे जाने के बाद

जब मैं पंचमहाभूतों के रूप में नहीं रहूँगातब सम्भव हैकि तुम्हारे आसपास मैं एक अदृश्य उपस्थिति के रूप में रहूँ एक जर्जर फ्रेम के बीच झाँकता होगा मेरा प्रसन्नमुख चेहराहालाँकि सूख कर झरने लगे बासी फूलों की माला के बीच मैंदसों दिशाओं में चल रहे खण्ड खण्ड पाखण्ड पर्वों’ कामूक साक्षी रहूँगा यही होगा कि … Read more

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