मेरे जज़्बात में जब भी कभी थोड़ा उबाल आया
कभी बच्चों की चिंता तो कभी घर का खयाल आया
पुरानी बंदिशें थीं या पुरानी रंजिशें थीं वो
मेरी पूँजी का हिस्सा थीं, करीने से सँभाल आया
इसे हालात से समझौता करना, चाहो तो कह लो
जगी मरने की ख्वाहिश तो उसे भी कल पे टाल आया
मैं ऐसा हूँ तो क्यों ऐसा ही हूँ, हर पल मेरे आगे
पलट कर बारहा वो ही पुराना-सा सवाल आया
किसी को चाहा तो अच्छा-बुरा कुछ भी नहीं देखा
बड़ी मुश्किल से अपनी ज़िंदगी में ये कमाल आया
– रमेश तैलंग
जन्म : 2 जून 1946, टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश)
भाषा : हिंदी, अंग्रेजी
विधाएँ : गजल, कविता
सम्मान : हिंदी अकादमी, बाल साहित्य पुरस्कार (दिल्ली), भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार