फिर से लौट जाएगा आदमी

हमने अपने हाथों में जब धनुष सँभाला है, बाँध कर के सागर को रास्ता निकाला है। हर दुखी की सेवा ही है मेरे लिए पूजा, झोपड़ी गरीबों की अब मेरा शिवाला है। अब करें शिकायत क्या, दोष भी किसे दें हम? घर के ही चिरागों ने घर को फूँक डाला है। कौन अब सुनाएगा दर्द … Read more

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