फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

Download kavya Dhara Hindi mobile application तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं हदीसे-यार के उनवाँ निखरने लगते हैं तो हर हरीम में गेसू सँवरने लगते हैं हर अजनबी हमें महरम दिखाई देता है जो अब भी तेरी गली से गुज़रने लगते हैं सबा से करते हैं … Read more

शेर

कई दिन से शरारत ही नहीं की मिरे अंदर का बच्चा लापता है अमित शर्मा तुझ पे जमी हैं सब की नज़रें तेरी नज़र में कौन रहेगा अनीस अब्र किस ख़ता की सज़ा मिली उस को किस लिए रोज़ घटता बढ़ता है इन्दिरा वर्मा ख़ैर दोज़ख़ में मय मिले न मिले शैख़-साहब से जाँ तो … Read more

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